Ram Mandir Pran Pratishtha Caremony at Ayodhya

राम मंदिर का उद्घाटन: जानिए इतिहास के इस शुभ अवसर के बारे में :Ram Mandir Pran Pratishtha Caremony at Ayodhya 

22 जनवरी 2024 को एक ऐतिहासिक दिन के रूप में भारत में राम मंदिर एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जो भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह नहीं केवल एक धार्मिक स्थल का निर्माण है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश का भी प्रतीक है।  22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का दिन है, जिसका लाखों भक्तों ने बेसब्री से इंतजार किया है। इस दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे, और राम लल्ला की मूर्ति को नए मंदिर में स्थापित करेंगे। इस लेख में, हम आपको राम मंदिर के उद्घाटन के बारे में सब कुछ बताएंगे, जैसे कि शुभ मुहूर्त, अनुष्ठान,Ram Mandir Pran Pratishtha Caremony at Ayodhya


## शुभ मुहूर्त :

राम मंदिर के उद्घाटन का शुभ मुहूर्त पौष शुक्ल कुर्मा द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी 22 जनवरी 2024 को है। इस दिन, दोपहर के समय ‘अभिजीत मुहूर्त’ में राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा। इस मुहूर्त का विशेष महत्व है, क्योंकि इस समय में मृगशिरा नक्षत्र चल रहा होगा, जो इस शुभ अवसर के लिए एक आकाशीय संरचना का प्रतीक है।

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## अनुष्ठान :

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए 16 जनवरी से 21 जनवरी तक विभिन्न पूजा-अनुष्ठान किए जाएंगे, जिनमें प्रायश्चित, कर्मकुटी पूजन, गणेश अम्बिका पूजन, वरुण पूजन, मातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजन, नवग्रह स्थापना, वास्तु शांति, अन्नाधिवास, शय्याधिवास आदि शामिल हैं। इन सभी अनुष्ठानों को 121 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा किया जाएगा, जिनका नेतृत्व पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित करेंगे। भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा, और 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तटवासी, द्वीपवासी जनजाति परंपराओं के प्रमुख व्यक्ति भी इस समारोह के साक्षी बनेंगे।

राम लला की मूर्ति :

राम लल्ला की प्रतिमा कर्नाटक के प्रसिद्ध शिल्पकार अरुण योगीराज ने तैयार की है, जो अभूतपूर्व सौंदर्य और कला का प्रतिनिधित्व करती है। भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में राम लला की मूर्ति एक अद्वितीय और पवित्र प्रतीक है, जो हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता, भगवान श्रीराम को स्थानीय रूप में प्रतिष्ठित करती है। राम लला की मूर्ति ने अपने भक्तों को सदैव प्रेरित किया है और भारतीय समाज में एक अद्वितीय स्थान बनाया है।Ram Mandir Pran Pratishtha Caremony at Ayodhya

राम लला, अर्थात् भगवान श्रीराम की मूर्ति, भारतीय समाज में विशेष भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। रामायण महाकाव्य में राम के अद्वितीय और नीतिपरायण चरित्र ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ और मानवता के आदर्श माने जाने का कारण बनाया है। राम लला की मूर्ति को भक्ति और भगवान के प्रति श्रद्धांजलि का स्रोत माना जाता है, जिससे हिन्दू समाज में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।

राम लला की मूर्ति को पूजा जाता है और उसे भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक माना जाता है। विभिन्न भागों में भारत में, राम मंदिरों में राम लला की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं जो भक्तों को आत्मा की शांति और धार्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन करती हैं।

प्राण प्रतिष्ठा :

देवता के साथ जीवन की अद्भुत शक्ति : प्राण प्रतिष्ठा, एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक प्रवृत्ति है जो सनातन धर्मों में एक विशेष स्थान रखती है। इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य देवता या देवी को मूर्ति या विग्रह में वास्तविक जीवन प्रदान करना है, जिससे उनके साथ साकार संबंध स्थापित हो सके। इस रीति-रिवाज का सिद्धांत है कि देवता विग्रह में विराजमान होकर भक्तों की पूजा और सेवा को सजीव बना देते हैं।

“प्राण प्रतिष्ठा” शब्द संस्कृत में बना है, जिसमें “प्राण” का अर्थ है जीवन और “प्रतिष्ठा” का अर्थ है स्थान या आवास। इसलिए, प्राण प्रतिष्ठा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जीवन की शक्ति को विग्रह में आवासित किया जाता है। इसमें पूजा और मंत्रों का अभ्यास किया जाता है, जिससे विग्रह में दिव्यता और जीवंतता की भावना उत्पन्न होती है।

इस प्रवृत्ति का अध्ययन करते समय हम देखते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा का मूल उद्देश्य देवता के साथ साकार संबंध स्थापित करना है। यह एक अद्भुत रूप है जिससे भक्त अपनी भगवानी या भगवान के साथ सीधे संवाद में आ सकते हैं और उनसे साकार रूप में मिल सकते हैं।

प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान विशेष रूप से हिन्दू धर्म में होता है, जहां मंदिरों में अक्सर यह प्रक्रिया आयोजित की जाती है। मंदिर के स्थापत्य के अनुसार, एक मंदिर की नींव रखते समय प्राण प्रतिष्ठा का अद्वितीय महत्व होता है। इसके लिए विशेष पूजा-पाठ, हवन और मंत्रों का जाप किया जाता है।

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राम मंदिर: धार्मिक संदेश:
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राम मंदिर का निर्माण हिन्दू धर्म की अद्वितीयता और समरसता का प्रतीक है। इसे एक नए भारत की शुरुआत का प्रतीक माना जा सकता है, जहां सभी धर्मों के अनुयायी एक-दूसरे के साथ सामंजस्य और एकता में रह सकते हैं। यह निर्माण धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा देने के साथ-साथ, सामाजिक एकता की भावना को भी मजबूत करेगा।

राम मंदिर का इतिहास :

राम मंदिर का इतिहास वेदों और पुराणों में समाहित है। भगवान राम का जन्मस्थान अयोध्या में हुआ था और वहीं पर एक मंदिर बना था, जो कि विशेषत: महत्त्वपूर्ण होने के कारण राम मंदिर कहलाया।

 बाबर के समय में:
बाबर ने 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाई, जिसकी नींवें मंदिर की स्थान पर रखी गई थीं। इससे हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ।
आधुनिक काल में :
बाबरी मस्जिद की नींवें बनी रहीं, लेकिन 19वीं शताब्दी में हिन्दू समुदाय ने इसके स्थान पर राम मंदिर बनाने की मांग की। इससे अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर की बनाने के लिए एक आंदोलन शुरू हुआ।
बाबरी मस्जिद की विध्वंस :
1992 में बाबरी मस्जिद को तोड़ने का एक बड़ा घटना हुआ। कई हिन्दू आंदोलनकारी समूहों ने मस्जिद को गिरा दिया, जिससे एक बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ। इसके परंतु, यह घटना हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच संघर्ष का कारण बनी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय :
इसके बाद, मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को अनैतिक और अवैध ठहराया और राम मंदिर के लिए एक नया स्थान निर्धारित किया।
भव्य राम मंदिर का निर्माण :

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू हुआ। इसका निर्माण भव्य रूप में हो रहा है, जिससे विवाद को समाप्त किया जा सके और धार्मिक स्थल पर समर्पित होने का संकेत मिले।

सारांश :

राम मंदिर का इतिहास भारतीय समृद्धि और संस्कृति के साथ जुड़ा है। इसका निर्माण एक ऐतिहासिक क्षण है जो हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच समर्थन और समझौते की ओर एक कदम है। राम मंदिर निर्माण का कार्य अब एक सामर्थ


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